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Saturday, February 29, 2020

दुर्गा आरती।

अम्बे माँ की आरती का पाठ  करके मन को शांति मिलती है।


जय अंबे गौरी मैया, जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावततुमको निशदिन ध्यावत।
हरि ब्रह्मा शिवरी।
ओम जय अम्बे गौरी जय अम्बे गौरी
मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत तुमको निशदिन ध्यावत,
हरि ब्रह्मा शिवरी ओम जय अम्बे गौरी।
मांग सिंदूर विराजत टीको मृग मद को।
मैया टीको मृगमद को उज्ज्वल से दो नैना।।
उज्ज्वल से दो नैना चंद्रवदन नीको
ओम जय अम्बे गौरी कनक समान कलेवर।
रक्ताम्बर राजै मैया रक्ताम्बर राजै
रक्तपुष्प गल माला रक्तपुष्प गल माला।।
कण्ठन पर साजै ओम जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी।
मैया खड्ग खप्परधारी सुर नर मुनि जन सेवत
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुखहारी।।
ओम जय अम्बे गौरी कानन कुण्डल शोभित
नासाग्रे मोती मैया नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर कोटिक चन्द्र दिवाकर
सम राजत ज्योति ओम जय अम्बे गौरी।।
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे महिषासुर घाती
मैया महिषासुर घाती धूम्र विलोचन नैना।
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती
ओम जय अम्बे गौरी चण्ड-मुण्ड संहारे।।
शोणित बीज हरे मैया शोणित बीज हरे
मधु कैटभ दोउ मारे मधु कैटभ दोउ मारे।
सुर भयहीन करे ओम जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी।।
मैया तुम कमला रानी आगम-निगम बखानी
आगम-निगम बखानी तुम शिव पटरानी।
ओम जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी गावत नृत्य करत भैरव
मैया नृत्य करत भैरव।
बाजत ताल मृदंगा बाजत ताल मृदंगा
और बाजत डमरु।।
ओम जय अम्बे गौरी

तुम ही जग की माता तुम ही हो भरता
मैया तुम ही हो भरता भक्तन की दु:ख हरता।
भक्तन की दु:ख हरता सुख सम्पत्ति करता
ओम जय अम्बे गौरी।।
भुजा चार अति शोभित वर-मुद्रा धारी
मैया वर-मुद्रा धारी मनवान्छित फल पावत।
मनवान्छित फल पावत सेवत नर-नारी
ओम जय अम्बे गौरी।।
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती
मैया अगर कपूर बाती श्रिमालकेतु में राजत।
श्रिमालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति
ओम जय अम्बे गौरी श्री अंबेजी की आरती।।
जो कोई नर गावे मैया जो कोई नर गावे
कहत शिवानंद स्वामी कहत शिवानंद स्वामी
सुख-संपत्ति पावे।
ओम जय अम्बे गौरी जय अम्बे गौरी
मैया जय श्यामा गौरी।।
तुमको निशदिन ध्यावत तुमको निशदिन ध्यावतl
हरि ब्रह्मा शिवरी
ओम जय अम्बे गौरी।।

Friday, February 28, 2020

Top 10 bhakti song on hanumanaji.

Here top 10 bhakti songs you can get easily on  youtube #Hanuman ji.

  1. Hey dukh bhanjan by gulshan kumar
Production  T-series.

  • 2. Hanuman chalisa by  Gulshan Kumar production T -series

 

  • 3. Bajarang bali by Gulshan Kumar production T-series.

Wednesday, February 19, 2020

गणेश चतुर्थी क्यो मनायी जाती है ? क्यो की जाती है गणेश जी की पूजा सबसे पहले? Ganesh ji ki puja kre aur sukh samridhi bulaye. Budhi ke bhagwan inko ek dant bhi kaha jata hai.

गणेश जी की पूजा करने से कष्ट का हरण होता है।शिव जी केे द्वारा इनका गला 

त्रिशूल से काट दिए जाने पर पार्वती माता को दुखी देखकर शिव जी ने हाथी के सिर को लगाया । जिसकी वजह से इनका 1 नाम गजानन भी है। किसी भी शुभ काम करने से पहले इनके नाम का स्मरण किया जाता हैं और किसी भी भगवान की पूजा आरम्भ करने से पहले इनकी पूजा की जाती है।इसकी भी बहुत ही सुंदर का

कहानी है , एक बार कार्तिक जी और गणेश जी मे कौन श्रेष्ठ है कि बहस चल रही थी, तो इनके माता पिता ने बोला जो पृथ्वी का 3 बार चक्कर लगा कर पहले आएगा वो श्रेष्ठ होगा। कार्तिक जी को लगा इनका चूहा इनको कितना तेज ले जा पायेगा। परन्तु गणेश जी ने चतुराई दिखाई और माता पिता के 3 चक्कर लगाया और बोला मेरे तो तीनों लोक आप ही हो। शंकर जी इनकी बुद्धिमत्ता  से प्रसन्न होकर इन्हें आशीर्वाद दिया कि किसी भी भगवान की पूजा से पहले आपका स्मरण किया जाएगा।

 जिनके नाम रिद्धि और सिद्धि है।
महाभारत को को लिखने के लिए महर्षि व्यास ने इनसे निवेदन किया तो इन्होंने शर्त रखा कि ये 1 बार बैठने पर दुबारा तभी उठेंगे जब कथा सम्पूर्ण होगी। महर्षि व्यास ने भी शर्त रखा कि जब तक वो समझ नही लेंगे लिखेंगे नही।महर्षि व्यास ने तीव्र गति से महाकाव्य बोलना आरंभ किया और श्री गणेश जी ने लिखना आरम्भ किया , बीच मे ही गणेश जी की कलम टूट गयी, गणेश जी ने अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए एक दांत तोड़ कर लिखना प्रारम्भ किया।   1 दांत की वजह से इन्हें एकदन्त भी बोलते है। गणेश लगातार बिना विश्राम किये लिखने की वजह से  में सम्पूर्ण महाभारत लिखने के पश्चात इनका शरीर गर्म हो गया था। कहा जाता है इसीलिए गणेश चतुुुर्थी  को गणेशजी की स्थापना के बाद उनका विसर्जन किया जाता है।



मनचाहे जीवनसाथी के लिए इस मंत्र का जप करे। पुरुष और कन्या के लिए अलग अलग मंत्र दिए हुए है।

मनचाहे जीवनसाथी के लिए इस 2 मंत्र का जप करे। 


  1.  ये मंत्र उन अविवाहित युवको के लिए है जिनके विवाह में बाधा आ रही हो, इस मंत्र के जप से सुन्दर,  सुशील और सुयोग्य वधू जल्द ही प्राप्ति होती है

पत्नी मनोरमां देहि! मनो वृत्तानु सारिणीम तारिणीम दुर्ग संसार सागरस्य कुलोद्भवाम।’

  1. 2. जो अविवाहित कन्याऐ हैं, उनको इस मंत्र का जप करना चाहिए। इस मंत्र के जप से योग्य वर की प्राप्ति होती हैं।

 ‘ऊं कात्यायनी महामाये महायोगिन्य धीश्वरी! नंद गोप सुतं देवी पतिं मे कुरुते नमः

Chant this 2 mantra for the desired life partner.


  1.  This mantra is for unmarried young men whose marriage is getting interrupted, by chanting this mantra, beautiful, well-willed and capable bride is soon attained.'


patni Manorama Dehi! Mano vritanyu atanu sariniam tariniam durg sansara sagarsya kulodbhwam. '

2. Those unmarried girls should chant this mantra. The chanting of this mantra leads to a worthy groom.‘


Oh Katyayani Mahamaye Mahayoginya Dhishwari!Nand Gop Sutam Devi pati me Kurute Namah 

Sunday, February 16, 2020

सोमवार के दिन करे भगवान शिव की पूजा । क्यो मनायी जाती है शिव रात्रि।। शंकर जियतT

सोमवार को शिव जी की पूजा करने से

क्या लाभ होता है???



सोमवार का दिन भगवान भोलेनाथ का दिन मन जाता है। भगवान भोले बहुत शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते है। शिव भक्त सोमवार को उपवास रखते है। ऐसी मान्यता है कि यदि 16 सोमवार का उपवास रखा जाए तो हर मनोकामना पूरी होती है

     अविवाहित स्त्रियाँ विवाह के लिए और भगवान शिव की तरह वर की  कामना के लिए भी इस दिन उपवास रखती है।ये मान्यता है कि सोमवार का व्रत रखने से विवाह के संयोग शीघ्र बनते है।।बहुत से राजाओं, ऋषि मुनि, राक्षस ने भगवान भोलेनाथ की तपस्या की और मनचाहा वरदान प्राप्त किये। चूँकि भोलेनाथ भोले है इसीलिए इतनी आसानी मां जाते है।
 इसीलिए  इनका नाम भोलेनाथ भी हैं। परन्तु इस वजह से कई बार इंद्र के सिंहासन पर भी खतरा आया। एक बार तो स्वयं भोलेनाथ भी अपनी ही दिए हुए वर के कारण परेशानी में पड़ गए।


आपको ये जानकारी कैसी लगी , इसके बारे में अवश्य ही कमेंट करें।


Shiv ratri ke din bhagwan shiv ki puja. शिवरात्रि क्यो मनाई जाई है।


By worshiping Shiva on Monday




Monday is considered to be the day of Lord Bholenath. Lord Bhole becomes very happy very soon. Shiva devotees fast on Mondays. It is believed that if the fast is kept for 16 Mondays, then every wish is fulfilled.

     Unmarried women fast on this day for marriage and wish for the bridegroom like Lord Shiva. It is believed that keeping the fast on Monday will soon lead to marital coincidences.








How do you like this information, you must comment about it.


Shiv ratri ke din bhagwan shiv ki puja. Why is Shivratri celebrated?

Shiv Shankar ji pic

Shiv ratri ke din bhagwan shiv ki puja. शिवरात्रि क्यो मनाई जाई है।Shiv ratri 20121,

शिव रात्रि क्यो मनाई जाती है? shiv ratri kyo manayi jati hai? Bhagwan shiv ki puja , 

शिवरात्रि के संबंध में कई मान्यताये है। 

  1. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव और पार्वती की शादी इसी दिन हुई थी। इसी लिए इस  दिन अविवाहित लडकियाँ अपनी शादी के लिए इस दिन उपवास रखती हैं।
  2. दूसरी मान्यता ये है कि इसी दिन ब्रह्मा जी और विष्णु जी का शिव जी मिलान हुआ था और ब्रह्मा जी और विष्णु जी ने इसी दिन शिव जी की आराधना की थी। 
  3. एक और मान्यता के अनुसार ब्रह्मा जी ने इसी दिन भगवान शिव के रौद्र रूप की रचना की थीं। इसी कारण से इस दिन शिवरात्रि मनाया जाता हैं।


शिवरात्रि हर महीने की चतुर्दशी को होता है परंतु  फागुन माह की महाशिवरात्रि का विशेष स्थान है।


वन्दे शम्भूं उमा-पतिं सुर-गुरुं वन्दे जगत्कारणम्
वन्दे पन्नग-भूषणं मृगधरं वन्दे पशूनां पतिम् ।
वन्दे सूर्य-शशांक-वह्नि-नयनं वन्दे मुकुन्द-प्रियम्
वन्दे भक्त-जनाश्रयं च वरदं वन्दे शिवं शंकरम् ॥

कैसे करे शिवरात्रि के दिन पूजा की तैयारी।?

सुबह उठकर स्नान करें। और पूजा की थाली तैयार करें । पूजन सामग्री में भगवान भोलेनाथ को प्रिय सामग्री जैसे बेल पत्र भांग धतूरा अड़हुल का फूल । बेलपत्र एक दिन पहले ही तो ड़ लेना चाहिए।

गणेश चतुर्थी क्यो मनायी जाती है ? क्यो की जाती है गणेश जी की पूजा सबसे पहले?


Shiv ji pic



Saturday, February 15, 2020

बाधा रहित कार्य को संपन्न करने और कष्टों के निवारण के लिए मंत्र। इससे होती है दुर्गा माँ प्रसन्न। devi suktam , Devi Mantra, Durga Mantra,



दुर्गा माँ को प्रसन्न करने का मंत्र,माँ अम्बे की पूजा करने से सारे कष्ट दूर हो जाते है ।


बाधा रहित कार्य को संपन्न करने और कष्टों के निवारण के लिए देवी सूक्तम मंत्र। 


या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता। 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। 

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता। 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता। 


Friday, February 7, 2020

Hanuman ji ki arati. हर मंगलवार और शनिवार हनुमानजी की कृपा प्राप्त करने के लिए hanuman ji की आरती कीजिये।

हनुमान जी की आरती



आरती कीजै हनुमान लला की।
आरती कीजै हनुमान लला की।।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की
आरती कीजै हनुमान लला की।
आरती कीजै हनुमान लला की।।
जाके बल से गिरिवर काँपे।
रोग दोष जाके निकट न झाँपे।।
अजंनीपुत्र महाबलदायी
संतन के प्रभु सदा सुहाई।।

आरती कीजै हनुमान लला की।
आरती कीजै हनुमान लला की।।
दे बीरा रघुनाथ पठाये।
लंका जारी सिया सुध लाये।।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई।
जात पवनसुत बार न लाई।।
लंका जारी असुर संहारे।
सियारामजी के काज संवारे।।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।
आनि सजीवन प्राण उबारे।।

पैठी पताल तोरि जम कारे।
अहिरावण की भुजा उखाड़े।।
बाएं भुजा असुर दल मारे।
दाहिने भुजा संतजन तारे।।
सुर-नर-मुनि आरती उतारे।
जै जै जै हनुमान उचारे।।
जो हनुमानजी की आरती गावै।
बसी बैकुंठ परम पद पावै।।
आरती कीजै हनुमान लला की।
आरती कीजै हनुमान लला की।।
आरती कीजै हनुमान लला की।
आरती कीजै हनुमान लला की।।

मेरे मन में हैं राम , मेरे तन में हैं राम। mere tan me hai ram mere man me hai ram.


Ram nam ka bahut hi pyara bhajan


मेरे मन में हैं राम , मेरे तन में हैं राम।
मेरे नैनो की नगरिया में राम हैं॥
मेरे रोम रोम के हैं राम ही रमिया।
साँसों के स्वामी, मेरी नैया के खिवैया।। 
कण कण में हैं राम, त्रिभुवन में हैं राम।
नीले नभ की अटरिया में राम हैं॥
जनम जनम का जिन से हैं नाता।
मन जिन के पल छीन गुण गाता।।
गुण धुन में हैं राम, रन झुन में हैं राम,
सारे जग की डगरिया में राम हैं॥
जहाँ कहीं देखूं वहीं राम की हैं माया।
, सब ही के साथ श्री राम जी की छाया।।
सुमिरन में हैं राम, दर्शन में हैं राम।
मेरे मन की मुरलियाँ में राम हैं॥



mere man mein raam raam raam raam raam raam mera. meree rainking kee nagariya. mere rom rom ke. saanson ke svaamee svaamee mere. kaint mein raam raam raam raam raam raam kaint mein. neela nabh kee atariya. janam janam ka jin. man jo hai. gun dhun mein raam raam raam raam raam raam raam raam raam raam raam. sabhee jag kee dagariya. jahaan kaheen bhee dikh raha hai. sab hee ke ,,. sumiran mein hain raam raam raam. mere man kee muraliyaan.

Thursday, February 6, 2020

किसका नित्य पाठ करने से बड़ा से बड़ा संकट भी टल जाता है। रुके हुए काम को पूरा करने के लिए हमें इसका

बजरंग बाण। bajarang ban, बजरंग बाण का नित्य पाठ करने से बड़ा से बड़ा संकट भी टल जाता है। रुके हुए काम को पूरा करने के लिए हमें इसका पथ करना चाहिए।

कैसा रहेगा आपका दिन , साल और महीना








कैसा रहेगा आपका दिन , साल और महीना, जानने के लिए अपना नाम , जन्मदिवस, समय, और जन्म स्थान बताये। यदि आपको कुंडली बनवानी हो या अपनी कुंडली के बारे में जानना हो तो संपर्क करें।






https://google-spritual.blogspot.com/2020/02/bajarang-ban.html?m=1

Wednesday, February 5, 2020

बजरंग बाण। bajarang ban, बजरंग बाण का नित्य पाठ करने से बड़ा से बड़ा संकट भी टल जाता है। रुके हुए काम को पूरा करने के लिए हमें इसका पथ करना चाहिए।

बजरंग बाण। bajarang baan

बजरंग बाण का पाठ करने से बड़ा से बड़ा संकट टल जाता हैं।हनुमानजी की कृपा बनाये रखने के लिए प्रतिदिन बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए।


दोहा

निश्चय प्रेम प्रतीत ते, विनय करें सनमान॥
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान


चौपाई.

जय हनुमंत संत हितकारी॥
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥1॥
जन के काज विलम्ब न कीजै ॥
आतुर दौरि महा सुख दीजै ॥2॥
जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा ॥
सुरसा बद पैठि विस्तारा ॥3॥
आगे जाई लंकिनी रोका ॥
मारेहु लात गई सुर लोका ॥4॥
जाय विभीषण को सुख दीन्हा ॥
सीता निरखि परम पद लीन्हा ॥5॥
बाग उजारी सिंधु महं बोरा ॥
अति आतुर जमकातर तोरा ॥6॥
अक्षय कुमार मारि संहारा ॥
लूम लपेट लंक को जारा ॥7॥
लाह समान लंक जरि गई ॥
जय जय धुनि सुरपुर में भई ॥8॥
अब विलम्ब केहि कारण स्वामी ॥
कृपा करहु उन अन्तर्यामी ॥9॥
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता ॥
आतुर होय दुख हरहु निपाता ॥10॥
जै गिरिधर जै जै सुखसागर ॥
सुर समूह समरथ भटनागर ॥11॥
जय हनु हनु हनुमंत हठीले ॥
बैरिहि मारु बज्र की कीले ॥12॥
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो ॥
महाराज प्रभु दास उबारो ॥13॥
ॐ कार हुंकार महाप्रभु धावो ॥
बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो ॥14॥

ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा ॥
ॐ हुं हुं हनु अरि उर शीशा ॥15॥
सत्य होहु हरि शपथ पाय के ॥
रामदूत धरु मारु जाय के ॥16॥

जय जय जय हनुमंत अगाधा ॥
दुःख पावत जन केहि अपराधा ॥17॥
पूजा जप तप नेम अचारा ॥
नहिं जानत हौं दास तुम्हारा ॥18॥
वन उपवन, मग गिरि गृह माहीं ॥
तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ॥19॥
पांय परों कर जोरि मनावौं ॥
यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ॥20॥
जय अंजनि कुमार बलवन्ता ॥
शंकर सुवन वीर हनुमंता ॥21॥
बदन कराल काल कुल घालक ॥
राम सहाय सदा प्रति पालक ॥22॥

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भूत प्रेत पिशाच निशाचर ॥
अग्नि बेताल काल मारी मर ॥23॥
इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की ॥
राखु नाथ मरजाद नाम की ॥24॥
जनकसुता हरि दास कहावौ ॥
ताकी शपथ विलम्ब न लावो ॥25॥
जय जय जय धुनि होत अकाशा ॥
सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा ॥26॥
चरण शरण कर जोरि मनावौ ॥
यहि अवसर अब केहि गौहरावौं ॥27॥
उठु उठु उठु चलु राम दुहाई ॥
पांय परों कर ज़ोरि मनाई ॥28॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता ॥
ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता ॥29॥
ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल ॥
ॐ सं सं सहमि पराने खल दल ॥30॥
अपने जन को तुरत उबारो ॥
सुमिरत होय आनन्द हमारो ॥31॥
यह बजरंग बाण जेहि मारै ॥
ताहि कहो फिर कौन उबारै ॥32॥
पाठ करै बजरंग बाण की ॥
हनुमत रक्षा करैं प्राण की ॥33॥
यह बजरंग बाण जो जापै ॥
ताते भूत प्रेत सब कांपै ॥34॥
धूप देय अरु जपै हमेशा ॥
ताके तन नहिं रहै कलेशा ॥35॥
दोहा
प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान ॥
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान ॥

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कौन से दिन कौन से भगवान की पूजा करनी चाहिए यह जनने के लिए नीचे क्लिक करे या home page पर जाएं।


Tuesday, February 4, 2020

आरती कुंजबिहारी की श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥

आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥ 
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली, भ्रमर सी अलक, 
कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक;
ललित छवि श्यामा प्यारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥

आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै;
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;
अतुल रति गोप कुमारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥

: आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली;
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक;
ललित छवि श्यामा प्यारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥

आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै;
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;
अतुल रति गोप कुमारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥






जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा;
बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच;
चरन छवि श्रीबनवारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥ x2
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू;
हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद;
टेर सुन दीन भिखारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥ x2
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

कौन से दिन किस भगवान की पूजा करनी चाहिए?

हिन्दू धर्म में पूजा पाठ का एक अपना अलग ही महत्व है, पूजा करने  और खुश करने का तरीका हर भगवान के
लिये अलग हैं।
सोमवार : सोमवार शिव जी का दिन है, इस दिन भोलेनाथ को खुश करने के लिए बहुत से लोग उपवास भी करते है। विशेष रुप से कन्या । शिव जी को बेलपत्र और अड़हुल का फूल बहुत ही पसंद है। भोले भण्डारी बड़ी सरलता से प्रसन्न हो जाता है। इनको प्रसन्न करने के लिए शिव चालीसा, रुद्राष्टक मंत्र, पंचाक्षर मंत्र, शिव तांडव स्त्रोत्तम आदि का जप करना चाहिए।

मंगलवार: यह दिन रूद्रावतार अर्थात बजरंग बली का दिन है। सारे कष्ट को हरने वाले , बड़े से बड़े संकट को टालने वाले हनुमान जी।बजरंग बाण, हनुमान चालीसा आदि का पाठ करना चाहिए।

बुधवार: अच्छे काम की शुरुआत के लिए अच्छा दिन क्योकि ये दिन शिव पुत्र श्री गणेश जी का है।मोदक इनको बहुत ही प्रिय है। किसी भी पूजा की शुरुआत इनके नाम से ही होई है।

विष्णु जी का दिन माना जाता है। सत्यनारायण भगवान जी का भी दिन है ये। केले के पेड़ की पूजा की जाती है इस दिन।

शुक्र : लक्ष्मी जी का दिन है शुक्रवार। इस दिन संतोषी माता की पूजा की जाती है।

शनिवार: इस दिन हनुमान जी और शनि देव की पूजा की जाती है। विशेतः जिनके शनि की साढ़े साती चलती है । उनके लिए परामर्श है कि काला तील और सरसों का तेल चढ़ाने से उनके ऊपर की विपदा टल जाती है।
रविवार:यह दिन ऊर्जा और तेज के प्रतीक सूर्य देवता का है। सृष्टि की बहुमूल्य और अभिन्न अंग है सूर्य देवता। इस दिन सूर्य भगवान की पूजा से विशेष लाभ मिलता है। प्रतिदिन सूर्योदय के समय जल चढ़ाने से ऊर्जा और यश मिलता है।




Sunday, February 2, 2020

बड़ा से बड़ा रूका हुआ कार्य सिद्ध इस मंत्र का नियमित पाठ करने से संपूर्ण होता है। किसी भी बड़े कार्य को करने से पहले अवश्य इसे ही पाठ करे ।

बड़ा से बड़ा रूका हुआ कार्य सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का नियमित पाठ करने  से संपूर्ण होता है। किसी भी बड़े कार्य को करने से पहले अवश्य ही पाठ करे ।श्रीरुद्रयामल के गौरीतंत्र में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र- 
जय माता दी

उवाच

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजाप: भवेत्।।1।।

न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्।।2।।

कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्।।3।।

गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
पाठमात्रेण संसिद्ध् येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।।4।।

अथ मंत्र :-

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।''

।।इति मंत्र:।।

नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नम: कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिन।।1।।

नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन।।2।।

जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका।।3।।

क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।।4।।

विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण।।5।।
ik


धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु।।6।।

हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः।।7।।
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।। 8।।

सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे।।
इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।

अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।

।इतिश्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वती संवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम्।


Uvach



Shrunu Devi Pravakshyamya Kunjikastotramuttamam.

Yen mantra prabandha chandijap: 1.



Wala Kavachman norgalastotram Keelakam wala Rahastakam.

Wala Suktan Naap Dhyancha Na Nyaso Na Cha Varchanam.



Kunjikapathamatren Durgapathafalam Labhet.

Ati Guhayataran Devi Devanampi Rarem.



Jaribio la siri

Maranam Mohanam Vashyam Stambhnochhatanadikam.

Pathatmareen Sansiddh Yat Kunjikastotramuttamam.4.



Atha Mantra: -



ॐ Niko huru hapa. Ice Glau Hun Cleon Lice:

Taa ya Kuungua Moto Mwanga wa Moto

Niko safi na safi



Iti Mantra:



Namaste Rudrapuriniye Namaste Madhumardini.

Namah: Catbhahriniya Namaste Mahishardin .. 1.



Namaste Shumbhanantrya f Nishumbhasurghatin 2.



Jagratam, Mahadevi, katika Sushham Kurushva.

Mwandishi wa Aankari Srishtroopayi Hrimari. 3.



Wasafishaji Kamarupiniya Bijrope Namoastu Te

Chamunda Chandghati f Yeikari Varadayini.



Vichhe Chabhayada Nityam Namastra Mantarupin.5.

ik





Dhan dhin dhu dhurjte: mke w th wag vagadhishwari.

Kran Kri Kranti Kalika Devisha Yeye aachane na Shubh Kuru.



Hoon hoon hunkaruparini jaye ja jambhinadini

7. Bhr bhrim bhru bhairavi bhadre bhavanyaai te namo namah.

Mfumo wa ushawishi

Dhijagram Dhijagram Trotay Trotay Deeptam Kuru Kuru Swaha.

Pa pam po parvati maskna khan khin khichri na ... 8.



Sans Hoon Saptashati Devya Mantra huko Siddhinkurusha.

Idantu Kunjikastotram Mantrajagartihatave.



Abhkate naiv datavya gopitam raksha parvati.

Yastu Kunjikaya Devihinam Saptashati Pathet.

Na tasya jayate siddhiranyae rodhanan viz.



Itishrirudrayamale Gouritantray Shivaparvati Samvadesha Kunjikastotram Sampoornam.

Siddhhi kunjika mantra in russian


Срину Деви правакшями кунджикастотрамутамам.
Йен Мантрапрабхавена Чандиап: Бхавет. 1.

Ни доспехов, ни нарциссических гвоздей.
Ни суктам напи дхьянам, ни ньясо, ни ча варчанам.

Кунджикапатаматрен Дургапатафалам лабет.
Ати Гухйатарам Деви Деванампи Дурлабхам .. 3 ..

Конфиденциальное усилие Сваянирив Парвати.
मारण मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
पाठमात्रेण संसिद्ध्येत कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।।4 ।।

Ат Мантра: -

Ом эй хрин клин чамундай вичче. Жара, я чищу вшей:
Пламя пламя пламя пламя пламя пламя пламя
Айн хрин клин чамундай вичче джвал хан сан лан кшан жир сваха.

..Iti Мантра: ..

Привет Рудрарупини, привет Мадхумардини.
नम: कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिन।।1 ।।

Привет Шумбхахантряй Ча Нишумбхасургхатин.

Джагратам хи махадеви джапан сиддхам курушва ме.
Анкари Сриштирупаяй Хринкари Пратипалика .. 3 ..

Klinkari kamarupinyai bijarupe namotrastu te.
Чамунда Чандгхати Ча Якари Вардаини..4 ..

मंत्ररूपिण।। चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण।।5 ।।
ик


Дхан Дхин Дху Дхурджате: Жена Вам Вам Вагадхисвари.
Кран Крин Крун Калика Девишан Шин Шунь Ме Шубхан Куру

Хум ху хункаррупиняи джан джан джан джамбханадини.
Бхрам бхрин бхру бхайрави бхадре бхаванйа те намо намах.
अं कं चं टं तं पंयं शंवीं दुं ऐं वीं हं क्षण
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ।।
Паа Пи Пун Парвати Пурна Хан Хин Хун Кхечари Татха. 8.

Сан си сун сапташати девя мантрасиддхинкурушва мне.
Idantu Kunjikastotram Mantrajagartihetve.

Абхакте Нав Датавья Гопитан Ракша Парвати.
Ясту Кунджикайя Девихинам Сапташатин Патет.
Не идите меньше, чем ваш полный потенциал.

Итишрирудрайамле Гауритантре Шивапарвати Самвадэ Кунджикастотрам Сампурнам.

Saturday, February 1, 2020

शिव जी की आराधना करने पर मृत्यु पर भी विजय पाई जा सकती है। इसीलिए कारण इनको मृत्युंजय भी कहा जाता है और महाकाल भी।चालीसा में 40 चौपाई होने के कारण इसे चालीस कहा जाता है। शिव चालसे का नियमित पाठ करने से भगवान भोलेनाथ खुश होते है।

शिव जी की आराधना करने पर मृत्यु पर भी विजय पाई जा सकती है। इसीलिए कारण इनको मृत्युंजय भी कहा जाता है और महाकाल भी।चालीसा में 40 चौपाई होने के कारण इसे चालीसा जाता है। शिव चालिसा का नियमित पाठ करने से भगवान भोलेनाथ खुश होते है।


।।दोहा।।

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥



जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

॥दोहा॥

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥

दुर्गा जी की आराधना करके असंभव कार्य भी सरलतापूर्वक सम्पूर्ण कर सकते हैं। अतः दुर्गा चालीसा का पाठ प्रतिदिन करें।

दुर्गा चालीसा
प्रतिदिन 1 बार अवश्य करें यह पाठ माता दुर्गा की कृपा बनी रहेंगी।

नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥

निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी॥

शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥

रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥

तुम संसार शक्ति लै कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥

अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़कर खम्बा॥

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥

क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥

मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥

केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥

कर में खप्पर खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजै॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥

नगरकोट में तुम्हीं विराजत।
तिहुंलोक में डंका बाजत॥

शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे॥

महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥

रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥

परी गाढ़ संतन पर जब जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥

अमरपुरी अरु बासव लोका।
तब महिमा सब रहें अशोका॥

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावें।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥

शंकर आचारज तप कीनो।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥

शक्ति रूप का मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो॥

शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥

भयी प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दयी शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥

आशा तृष्णा निपट सतावें।
रिपु मुरख मोही डरपावे॥

शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥

करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।

जब लगि जियूं दया फल पाऊं ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥

दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै॥

देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥

॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥