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Sunday, May 31, 2020

Durga mata ki aarti

अम्बे तू है जगदम्बे काली,

जय दुर्गे खप्परवाली

Durga ma ki aarti


आरती श्री दुर्गाजी ॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्परवाली,

तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

तेरे भक्तजनों पर माता
भीर पड़ी है भारी।

दानवदल पर टूट पड़ो माँ
करके सिंह सवारी॥

सौ-सौ सिहों से बलशाली,
है अष्ट भुजाओं वाली,

दुष्टों को तू ही ललकारती।

ओ मईया हम सब उतारे तेरी आरती॥

माँ-बेटे का है इस जग में
बड़ा ही निर्मल नाता।

पूत-कपूत सुने है
पर ना माता सुनी कुमाता॥

सब पे करूणा दर्शाने वाली,
अमृत बरसाने वाली,

दुखियों के दुखड़े निवारती।

ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

नहीं मांगते धन और दौलत,
न चांदी न सोना।

हम तो मांगें तेरे चरणों में
छोटा सा कोना॥

सबकी बिगड़ी बनाने वाली,
लाज बचाने वाली,

सतियों के सत को संवारती।

ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

चरण शरण में खड़े तुम्हारी,
ले पूजा की थाली।

वरद हस्त सर पर रख दो माँ
संकट हरने वाली॥

माँ भर दो भक्ति रस प्याली,
अष्ट भुजाओं वाली,

भक्तों के कारज तू ही सारती।

ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

Friday, March 27, 2020

माँ अम्बे जी की आरती। # नवरात्रि। माँ #दुर्गा की पूजा।

दुर्गा माँ अर्थात माँ अम्बे की आरती

माँ अम्बे जी की आरती



जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
ओम जय अम्बे गौरी
मांग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को। उज्जवल से दो‌उ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
ओम जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गलमाला, कण्ठन पर साजै॥
ओम जय अम्बे गौरी
के हरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
 सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
ओम जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
ओम जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।
 धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥
ओम जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥
ओम जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी।
 आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥
ओम जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूं। बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥
ओम जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता। भक्‍तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
ओम जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी। मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
ओम जय अम्बे गौरी
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती। श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
ओम जय अम्बे गौरी
श्रीअम्बे जी की आरती, जो को‌ई नर गावै। कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥
ओम जय अम्बे गौरी, ओम जय अम्बे गौरी

Saturday, February 15, 2020

बाधा रहित कार्य को संपन्न करने और कष्टों के निवारण के लिए मंत्र। इससे होती है दुर्गा माँ प्रसन्न। devi suktam , Devi Mantra, Durga Mantra,



दुर्गा माँ को प्रसन्न करने का मंत्र,माँ अम्बे की पूजा करने से सारे कष्ट दूर हो जाते है ।


बाधा रहित कार्य को संपन्न करने और कष्टों के निवारण के लिए देवी सूक्तम मंत्र। 


या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता। 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। 

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता। 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता।