Ganga mata ki aarti
गंगा जी को हिंदू धर्म में एक बहुत ही पवित्र स्थान प्राप्त है। इसमें जो भी गंगाजी में स्नान करता है उसके पाप धुल जाते हैं। और गंगा जल की विशेषता है कि इसमें कीड़े नही पड़ते कई सालों तक इसे रखा जा सकता है। भागीरथी जी ने गंगा जी को धरती पर लाने के लिए कई वर्षों तक तपस्या की ।भागीरथी जी को अपने पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति के लिए गंगा जी को धरती पर लाना था, लेकिन गंगा जी को धारण करने के लिए शिव जी को मनाना पड़ा।। जब गंगा जी बड़ी ही तीव्र गति से पृथ्वी की ओर चल पड़ी थी तो उनकी वेग को नियंत्रित करने की क्षमता भगवान शिव के अतिरिक्त किसी में नहीं था उन्होंने अपनी जटाओं में गंगा जी को धारण कर लिया। गंगा जी पवित्रता को ही सबसे निर्मल और आदर्श माना जाता है। गंगा में
स्नान करते समय इनकी आरती करने से विशेष लाभ मिलता है।
गंगे माता, मैया जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता, मन वांशित फल पाता ॥
ॐ जय गंगे माता...
चन्द्र सी ज्योत तुम्हारी, जल निर्मल आता ।
शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता ॥
ॐ जय गंगे माता...
पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता ।
कृपा दृष्टि हो तुम्हारी, त्रिभुवन सुखदाता ॥
ॐ जय गंगे माता...
एक बार ही जो तेरी, शरणागति आता ।
यम की त्रास मिटाकर, परम गति पाता ॥
ॐ जय गंगे माता...
आरती मात तुम्हारी, जो जान नित्त जाता ।
दास वही सहज में, मुक्ति को पाता ॥
ॐ जय गंगे माता...
ॐ जय गंगे माता, श्री गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता, मन वांशित फल पाता ॥
ॐ जय गंगे माता...