FOR ADD

Thursday, January 30, 2020

सरस्वती जी को खुश करने के लिए प्रतिदिन सुबह इसको पढ़े।



सरस्वती पूजा करने के लिए इस मंत्र

सरस्वती जी की कृपा प्राप्त करने के लिए इस मन्त्र का जप करें। विशेषकर विद्यार्थियों को इस मन्त्र का जप अवश्य करना चाहिए। इस मंत्र का जप उन्हें भी करना चाहिये जो किसी 
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृतम
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥१॥


Wednesday, January 29, 2020

हर शनिवार सुबह स्नान के बाद शनिदेव को सरसो का तेल और काला तिल चढ़ाने से शनिदेव खुश होते है। कम से कम 1 बार शनि चालीसा का पथ अवश्य ही करें।




जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥
जयति जयति शनिदेव दयाला। करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै। माथे रतन मुकुट छबि छाजै॥
परम विशाल मनोहर भाला। टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके। हिय माल मुक्तन मणि दमके॥1॥

कर में गदा त्रिशूल कुठारा। पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥
पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन। यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन॥
सौरी, मन्द, शनी, दश नामा। भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥
जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं। रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं॥2॥
पर्वतहू तृण होई निहारत। तृणहू को पर्वत करि डारत॥
राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो। कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो॥
बनहूँ में मृग कपट दिखाई। मातु जानकी गई चुराई॥
लखनहिं शक्ति विकल करिडारा। मचिगा दल में हाहाकारा॥3॥
रावण की गतिमति बौराई। रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥
दियो कीट करि कंचन लंका। बजि बजरंग बीर की डंका॥
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा। चित्र मयूर निगलि गै हारा॥
हार नौलखा लाग्यो चोरी। हाथ पैर डरवाय तोरी॥4॥
भारी दशा निकृष्ट दिखायो। तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥
विनय राग दीपक महं कीन्हयों। तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों॥
हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी। आपहुं भरे डोम घर पानी॥
तैसे नल पर दशा सिरानी। भूंजीमीन कूद गई पानी॥5॥
श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई। पारवती को सती कराई॥
तनिक विलोकत ही करि रीसा। नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी। बची द्रौपदी होति उघारी॥
कौरव के भी गति मति मारयो। युद्ध महाभारत करि डारयो॥6॥

रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला। लेकर कूदि परयो पाताला॥
शेष देवलखि विनती लाई। रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥
वाहन प्रभु के सात सजाना। जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥
जम्बुक सिंह आदि नख धारी।सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥7॥
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं। हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा। सिंह सिद्धकर राज समाजा॥
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै। मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी। चोरी आदि होय डर भारी॥8॥
तैसहि चारि चरण यह नामा। स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं। धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं॥
समता ताम्र रजत शुभकारी। स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी॥
जो यह शनि चरित्र नित गावै। कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥9॥
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला। करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई। विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत। दीप दान दै बहु सुख पावत॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा। शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥10॥
॥दोहा॥
पाठ शनिश्चर देव को, की हों भक्त तैयार।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥
For Video click here:. https://youtu.be/MJ14wONWjWg

Tuesday, January 28, 2020

Ganesh jayanti के दिन इस श्लोक का जप करें। सिद्धिविनायक होते है प्रसन्न।

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥


Share it on Facebook, tiktok ,gmail .

Monday, January 27, 2020

शिव मंत्र।।इस मंत्र को 5 बार जपने से मिलती है इतनी शक्ति की आप किसी भी परेशानी से बाहर निकल सकते है।




ध्याये नित्यं महेशं रजतं गिरिनिभं चारूचंद्रा वतंसं।
रत्नकल्पोज्वलांगं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम।।
 पदमासीनं समन्तात स्तुतममरग्नेकृतिं वसानं।
विश्वाद्यं विश्वबीजं, निखिलभयहरं पंचवक्रं त्रिनेत्रम।।

Sunday, January 26, 2020

रुद्र पंचाक्षर मंत्र! ॐ नमः शिवाय का पूरा मंत्र , इस पूरे मंत्र में छिपा है। ॐ नमः शिवाय के जपने मात्र से इस सम्पूर्ण रुद्र पंचाक्षर मंत्र का लाभ मिलता है ।


Rudra panchakshri mantra ( रुद्र पंचाक्षर मंत्र का उच्चारण करने से आयु बढ़ती हैं)

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै
काराय नमः शिवाय

मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय
नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय ।
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय
तस्मै
काराय नमः शिवाय

शिवाय गौरीवदनाब्जबृंदा
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय
तस्मै
शिकाराय नमः शिवाय

वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमूनीन्द्र देवार्चिता शेखराय ।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय
तस्मै
काराय नमः शिवाय

यज्ञस्वरूपाय जटाधराय
पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय
तस्मै
काराय नमः शिवाय

पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसंनिधौ ।
शिवलोकमावाप्नोति शिवेन सह मोदते


Thursday, January 23, 2020

गणेश जी को खुश करने के लिए बहुत आसान उपाय। इसे जरूर इस्तेमाल करें! Ganesh aarti in hindi russian tamil malayalam language.

Ganesh ji ki aarti

गणेश जी की सर्वप्रथम पूजा की जाती है गणेश जी सुख और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं।


जय गणेश जय गणेश
जय गणेश देवा!
जय गणेश जय गणेश
जय गणेश देवा!!!
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा!!
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा!
जय गणेश जय गणेश
जय गणेश देवा!
जय गणेश जय गणेश
जय गणेश देवा!!
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा!
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा!!
एकदंत दयावंत चार भुजा धारी!
एकदंत दयावंत चार भुजा धारी!!
माथेपर तिलक सोहे मुसे की सवारी!
माथेपर तिलक सोहे मुसे की सवारी!!
एकदंत दयावंत चार भुजा धारी!
एकदंत दयावंत चार भुजा धारी!!
माथेपर तिलक सोहे मुसे की सवारी!
माथेपर तिलक सोहे मुसे की सवारी!!
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा!
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा!!
लडुअन का भोग लगे संत करे सेवा!
लडुअन का भोग लगे संत करे सेवा!!
जय गणेश जय गणेश
जय गणेश !
जय गणेश जय गणेश
जय गणेश देवा!!
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा!
जाकी  पार्वती पिता महादेवा!!
अंधे को आँख देत कोढिन को काया!
अंधे को आँख देत कोढिन को काया!!
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया!
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया!!
अंधे को आँख देत कोढिन को काया!
अंधे को आँख देत कोढिन को काया!!
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया!
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया!!
सूर शाम शरण आये सफल कीजिये सेवा!
सूर शाम शरण आये सफल कीजिये सेवा!!
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा!
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा!!
जय गणेश जय गणेश
जय गणेश देवा!
जय गणेश जय गणेश
जय गणेश देवा!!
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा!
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा!!
जय गणेश जय गणेश
जय गणेश देवा!
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा!
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा!!

தமிழில் கணேஷ் ஜி கி ஆர்த்தி




ஜெய் கணேஷ் ஜெய் கணேஷ்
ஜெய் கணேஷ் தேவா!
ஜெய் கணேஷ் ஜெய் கணேஷ்
ஜெய் கணேஷ் தேவா !!!
தாய் ஜாக்கி பார்வதி தந்தை மகாதேவா !!
தாய் ஜாக்கி பார்வதி தந்தை மகாதேவா!
ஜெய் கணேஷ் ஜெய் கணேஷ்
ஜெய் கணேஷ் தேவா!
ஜெய் கணேஷ் ஜெய் கணேஷ்
ஜெய் கணேஷ் தேவா !!
தாய் ஜாக்கி பார்வதி தந்தை மகாதேவா!
தாய் ஜாக்கி பார்வதி தந்தை மகாதேவா !!
ஏக்தந்த் தயாவந்த், நான்கு கைகளைப் பிடித்துக் கொண்டான்!
ஏக்தந்த் தயாவந்த் நான்கு கை பட்டை !!
நெற்றியில் திலக் சோஹே ம ou ஸ் சவாரி!
நெற்றியில் திலக் சோஹே முஷே சவாரி !!
ஏக்தந்த் தயாவந்த், நான்கு கைகளைப் பிடித்துக் கொண்டான்!
ஏக்தந்த் தயாவந்த் நான்கு கை பட்டை !!
நெற்றியில் திலக் சோஹே ம ou ஸ் சவாரி!
நெற்றியில் திலக் சோஹே முஷே சவாரி !!
மலர்கள் உயர்ந்தன, பழங்கள் போய்விட்டன!
மலர்கள் பூக்கள் மற்றும் கொட்டைகள் போய்விட்டன !!
புனிதர்கள் கர்த்தருக்கு சேவை செய்ய வேண்டும்
புனிதர் லடுவனின் இன்பத்துடன் சேவை செய்யப்பட வேண்டும் !!
ஜெய் கணேஷ் ஜெய் கணேஷ்
ஜெய் கணேஷ்!
ஜெய் கணேஷ் ஜெய் கணேஷ்
ஜெய் கணேஷ் தேவா !!
தாய் ஜாக்கி பார்வதி தந்தை மகாதேவா!
ஜாக்கி பார்வதி தந்தை மகாதேவா !!
குருடர்களின் கண் தொழுநோயைத் தருகிறது
பார்வையற்றவர்களுக்கு காயா, தொழுநோயாளிக்கு கண் கொடுங்கள் !!
கருவுறாமைக்கு மாயா மற்றும் மகன் ஏழைகளுக்கு
கருவுறாமைக்கு மாயா மற்றும் மகன் ஏழைகளுக்கு
குருடர்களின் கண் தொழுநோயைத் தருகிறது
பார்வையற்றவர்களுக்கு காயா, தொழுநோயாளிக்கு கண் கொடுங்கள் !!
கருவுறாமைக்கு மாயா மற்றும் மகன் ஏழைகளுக்கு
கருவுறாமைக்கு மாயா மற்றும் மகன் ஏழைகளுக்கு
வெற்றிகரமான சேவை மாலையில் தங்குமிடம் வர வேண்டும்
சூரா ஷரன் வெற்றிகரமான சேவை வாருங்கள்!
தாய் ஜாக்கி பார்வதி தந்தை மகாதேவா!
தாய் ஜாக்கி பார்வதி தந்தை மகாதேவா !!
ஜெய் கணேஷ் ஜெய் கணேஷ்
ஜெய் கணேஷ் தேவா!
ஜெய் கணேஷ் ஜெய் கணேஷ்
ஜெய் கணேஷ் தேவா !!
தாய் ஜாக்கி பார்வதி தந்தை மகாதேவா!
தாய் ஜாக்கி பார்வதி தந்தை மகாதேவா !!
ஜெய் கணேஷ் ஜெய் கணேஷ்
ஜெய் கணேஷ் தேவா!
தாய் ஜாக்கி பார்வதி தந்தை மகாதேவா!
தாய் ஜாக்கி பார்வதி தந்தை மகாதேவா !!
മല്യാലത്തെ ഗണേഷ് ജി കി ആരതി



ജയ് ഗണേഷ് ജയ് ഗണേഷ്


ജയ് ഗണേഷ് ദേവ!
ജയ് ഗണേഷ് ജയ് ഗണേഷ്
ജയ് ഗണേഷ് ദേവ !!!
അമ്മ ജാക്കി പാർവതി പിതാവ് മഹാദേവ !!
അമ്മ ജാക്കി പാർവതി അച്ഛൻ മഹാദേവ!
ജയ് ഗണേഷ് ജയ് ഗണേഷ്
ജയ് ഗണേഷ് ദേവ!
ജയ് ഗണേഷ് ജയ് ഗണേഷ്
ജയ് ഗണേഷ് ദേവ !!
അമ്മ ജാക്കി പാർവതി അച്ഛൻ മഹാദേവ!
അമ്മ ജാക്കി പാർവതി പിതാവ് മഹാദേവ !!
നാല് കൈകൾ പിടിച്ച് ഏകാദന്ത് ദയാവന്ത്!
ഏകാദന്ത് ദയാവന്ത് നാല് ഭുജ വര !!
നെറ്റി തിലക് സോഹെ മ ou സ് ​​സവാരി!
നെറ്റി തിലക് സോഹെ മുഷെ സവാരി !!
നാല് കൈകൾ പിടിച്ച് ഏകാദന്ത് ദയാവന്ത്!
ഏകാദന്ത് ദയാവന്ത് നാല് ഭുജ വര !!
നെറ്റി തിലക് സോഹെ മ ou സ് ​​സവാരി!
നെറ്റി തിലക് സോഹെ മുഷെ സവാരി !!
പൂക്കളും പൂക്കളും കയറി അണ്ടിപ്പരിപ്പ് ഇല്ലാതായി!
പൂക്കൾ പൂക്കളാണ്, അണ്ടിപ്പരിപ്പ് ഇല്ലാതായി !!
വിശുദ്ധന്മാർ കർത്താവിനെ സേവിക്കണം
ലാദുവിന്റെ ആസ്വാദനത്തോടെ വിശുദ്ധനെ സേവിക്കണം !!
ജയ് ഗണേഷ് ജയ് ഗണേഷ്
ജയ് ഗണേഷ്!
ജയ് ഗണേഷ് ജയ് ഗണേഷ്
ജയ് ഗണേഷ് ദേവ !!
അമ്മ ജാക്കി പാർവതി അച്ഛൻ മഹാദേവ!
സാക്കി പാർവതി പിതാവ് മഹാദേവ !!
അന്ധരുടെ കണ്ണ് കുഷ്ഠം നൽകുന്നു
അന്ധർക്ക് കായ, കുഷ്ഠരോഗിക്ക് കണ്ണ് നൽകുക !!
വന്ധ്യതയിലേക്ക് മായയും മകൻ ദരിദ്രനും
വന്ധ്യതയിലേക്ക് മായയും മകൻ ദരിദ്രനും
അന്ധരുടെ കണ്ണ് കുഷ്ഠം നൽകുന്നു
അന്ധർക്ക് കായ, കുഷ്ഠരോഗിക്ക് കണ്ണ് നൽകുക !!
വന്ധ്യതയിലേക്ക് മായയും മകൻ ദരിദ്രനും
വന്ധ്യതയിലേക്ക് മായയും മകൻ ദരിദ്രനും
വിജയകരമായ സേവനം വൈകുന്നേരം അഭയം പ്രാപിക്കണം
സുര ശരൺ വിജയകരമായ സേവനം!
അമ്മ ജാക്കി പാർവതി അച്ഛൻ മഹാദേവ!
അമ്മ ജാക്കി പാർവതി പിതാവ് മഹാദേവ !!
ജയ് ഗണേഷ് ജയ് ഗണേഷ്
ജയ് ഗണേഷ് ദേവ!
ജയ് ഗണേഷ് ജയ് ഗണേഷ്
ജയ് ഗണേഷ് ദേവ !!
അമ്മ ജാക്കി പാർവതി അച്ഛൻ മഹാദേവ!
അമ്മ ജാക്കി പാർവതി പിതാവ് മഹാദേവ !!
ജയ് ഗണേഷ് ജയ് ഗണേഷ്
ജയ് ഗണേഷ് ദേവ!
അമ്മ ജാക്കി പാർവതി അച്ഛൻ മഹാദേവ!
അമ്മ ജാക്കി പാർവതി പിതാവ് മഹാദേവ !!

Ганеш джи ки аарти




Джай Ганеш Джай Ганеш
Джай Ганеш Дева!
Джай Ганеш Джай Ганеш
Джай Ганеш Дева !!!
Мать Джаки Парвати Отец Махадева !!
Мать Джаки Парвати, отец Махадева!
Джай Ганеш Джай Ганеш
Джай Ганеш Дева!
Джай Ганеш Джай Ганеш
Джай Ганеш Дева !!
Мать Джаки Парвати, отец Махадева!
Мать Джаки Парвати Отец Махадева !!
Экдант Даявант, держась за четыре руки!
Ekdant Dayawant в четыре рукава в полоску !!
Лоб Тилак Сохе Мусс катаюсь!
Лоб Тилак Сохе, Маше катаюсь !!
Экдант Даявант, держась за четыре руки!
Экдант Даявант в четыре руки в полоску !!
Лоб Тилак Сохе Мусс катаюсь!
Лоб Тилак Сохе Муза Поездка !!
Цветы выросли, а фрукты пропали!
Цветы - это цветы, а орехи исчезли!
Святые должны служить Господу
Святой должен быть подан с наслаждением Laduan!
Джай Ганеш Джай Ганеш
Джай Ганеш!
Джай Ганеш Джай Ганеш
Джай Ганеш Дева !!
Мать Джаки Парвати, отец Махадева!
Заки Парвати Отец Махадева !!
Глаз слепого дает проказу
Кая слепым и прокаженным прокажи!
Майя бесплодия и сын бедных
Майя к бесплодию, сын к бесплодию
Глаз слепого дает проказу
Кая слепым и прокаженным прокажи!
Майя бесплодия и сын бедных
Майя бесплодна и сын беден
Успешная служба должна прийти в приют вечером
Сура Шаран приезжай успешно обслуживать!
Мать Джаки Парвати, отец Махадева!
Мать Джаки Парвати Отец Махадева !!
Джай Ганеш Джай Ганеш
Джай Ганеш Дева!
Джай Ганеш Джай Ганеш
Джай Ганеш Дева !!
Мать Джаки Парвати, отец Махадева!
Мать Джаки Парвати Отец Махадева !!
Джай Ганеш Джай Ганеш
Джай Ганеш Дева!
Мать Джаки Парвати, отец Махадева!
Мать Джаки Парвати Отец Махадева !!

Wednesday, January 22, 2020

श्रीगणेश चालीसा


जय गणपति सद्गुण सदन कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण जय जय गिरिजालाल॥
जय जय जय गणपति राजू। मंगल भरण करण शुभ काजू॥
जय गजबदन सदन सुखदाता। विश्व विनायक बुद्धि विधाता॥
वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन। तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥
राजित मणि मुक्तन उर माला। स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं। मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित। चरण पादुका मुनि मन राजित॥
धनि शिवसुवन षडानन भ्राता। गौरी ललन विश्व-विधाता॥
ऋद्धि सिद्धि तव चँवर डुलावे। मूषक वाहन सोहत द्वारे॥
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी। अति शुचि पावन मंगल कारी॥

एक समय गिरिराज कुमारी। पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा। तब पहुंच्यो तुम धरि द्विज रूपा।
अतिथि जानि कै गौरी सुखारी। बहु विधि सेवा करी तुम्हारी॥

अति प्रसन्न ह्वै तुम वर दीन्हा। मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥
मिलहि पुत्र तुहि बुद्धि विशाला। बिना गर्भ धारण यहि काला॥
गणनायक गुण ज्ञान निधाना। पूजित प्रथम रूप भगवाना॥
अस कहि अन्तर्धान रूप ह्वै। पलना पर बालक स्वरूप ह्वै॥
बनि शिशु रुदन जबहि तुम ठाना। लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना॥

सकल मगन सुख मंगल गावहिं। नभ ते सुरन सुमन वर्षावहिं॥
शम्भु उमा बहुदान लुटावहिं। सुर मुनि जन सुत देखन आवहिं॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा। देखन भी आए शनि राजा॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं। बालक देखन चाहत नाहीं॥
गिरजा कछु मन भेद बढ़ायो। उत्सव मोर न शनि तुहि भायो॥
कहन लगे शनि मन सकुचाई। का करिहौ शिशु मोहि दिखाई॥
नहिं विश्वास उमा कर भयऊ। शनि सों बालक देखन कह्यऊ॥
पड़तहिं शनि दृग कोण प्रकाशा। बालक शिर उड़ि गयो आकाशा॥

गिरजा गिरीं विकल ह्वै धरणी। सो दुख दशा गयो नहिं वरणी॥
हाहाकार मच्यो कैलाशा। शनि कीन्ह्यों लखि सुत को नाशा॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधाए। काटि चक्र सो गज शिर लाए॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो। प्राण मन्त्र पढ़ शंकर डारयो॥

नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे। प्रथम पूज्य बुद्धि निधि वर दीन्हे॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा। पृथ्वी की प्रदक्षिणा लीन्हा॥
चले षडानन भरमि भुलाई। रची बैठ तुम बुद्धि उपाई॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें। तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥
धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे। नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई। शेष सहस मुख सकै न गाई॥
मैं मति हीन मलीन दुखारी। करहुँ कौन बिधि विनय तुम्हारी॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा। लख प्रयाग ककरा दुर्वासा॥
अब प्रभु दया दीन पर कीजै। अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥
दोहा
श्री गणेश यह चालीसा पाठ करें धर ध्यान।
नित नव मंगल गृह बसै लहे जगत सन्मान॥
सम्वत् अपन सहस्र दश ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो मंगल मूर्ति गणेश॥

  •  

Monday, January 20, 2020

श्री दुर्गा चालीसा

 दुर्गा माँ को जल्‍द प्रसन्‍न करने और उनका आशीर्वाद सदैव अपने परिवार पर बनाएं रखने के लिए प्रत्‍येक मनुष्‍य  पर नवरात्र में दुर्गा चालीसा पाठ अवश्य  करना चाहिए. मां की स्‍तुति के लिए शास्‍त्रों में भी चालीसा पाठ को सर्वोत्‍तम माना गया हैं।





नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो अंबे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥
तुम संसार शक्ति लै कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥ 
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥L
श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै। जाको देख काल डर भाजै॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहुँलोक में डंका बाजत॥
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे। रक्तन बीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥
  

आभा पुरी अरु बासव लोका। तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी। योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो। काम क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावें। रिपु मुरख मोही डरपावे॥
शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।
जब लगि जियऊं दया फल पाऊं। तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥
देवीदास शरण निज जानी। करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
॥इति श्रीदुर्गा चालीसा सम्पूर्ण॥

माँ दुर्गा की कृपा सदा आपके ऊपर बनी रहेगी, मन मे सच्ची श्रद्धा हो तो आपका हर काम आसान लगेगा। जय माँ अम्बे।

Sunday, January 19, 2020

श्री महामृत्युञ्जय जाप!!


श्री महामृत्युञ्जय जाप!!

प्रतिदिन 5 बार महामृत्युंजय का जप करें।    


ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌॥


त्र्यंबकम् – तीन नेत्रों वाले
यजामहे –  हम हृदय से जिनका सम्मान करते हैं और पूजते हैं। 
सुगंधिम -जो एक मधुर सुगंध के समान हैं।
पुष्टिः – सम्पूर्णता के साथ या फलने फूलने वाली स्थिति
वर्धनम् – जो पोषण करते हैं, बढ़ने की शक्ति देते हैं।
उर्वारुकम् – ककड़ी
इव – जैसे, इस तरह
बंधनात् – बंधनों से मुक्त करनेवाले
मृत्योः = मृत्यु से
मुक्षीय = मुक्ति दें।
मा = न
अमृतात् = अमरता, मोक्ष


मार्कण्डेय जी ने इस मंत्र की रचना की है । कहा जाता है कि जब यमराज 12 वर्ष के बालक मार्कण्डेय जी को लेने आये तो उन्होंने डर से शिव लिंग का आलिंगन कर लिया था , शिव जी स्वयं प्रकट हो कर यमराज को वापस जाने के लिए कहा।

8 Read gaytri mantra also

Thursday, January 16, 2020

Om jay jagdish hare, swami jay jagdish hare.

ॐ जय जगदीश हरे।

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे!
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे, ॐ जय जगदीश हरे!!
जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिन से मन का!
(स्वामी दुःख बिन से मन का)
सुख सम्पति घर आवे!
सुख सम्पति घर आवे!
कष्ट मिटे तन का!!
ॐ जय जगदीश हरे!!
मात पिता तुम मेरे शरण गहूं किसकी!
स्वामी शरण गहूं किसकी!!
तुम बिन और न दूजा
तुम बिन और न दूजा!
आस करूं जिसकी!!
ॐ जय जगदीश हरे!!
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी
स्वामी तुम अन्तर्यामी!!
पारब्रह्म परमेश्वर
पारब्रह्म परमेश्वर
तुम सब के स्वामी
ॐ जय जगदीश हरे!!
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता!
स्वामी तुम पालनकर्ता!!
मैं मूरख खलकामी
मैं सेवक तुम स्वामी!
कृपा करो भर्ता!!

ॐ जय जगदीश हरे
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति
स्वामी सबके प्राणपति
किस विध मिलूं गोसाई
किस विध मिलूं गोसाई
तुमको मैं कुमति
ॐ जय जगदीश हरे

दीन-बन्धु दुःख-हर्ता, ठाकुर तुम मेरे
स्वामी ठाकुर तुम मेरे
अपने हाथ बढ़ाओ
अपने हाथ बढ़ाओ
द्वार पड़ा तेरे
ॐ जय जगदीश हरे

विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा
स्वामी पाप हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
सन्तन की सेवा
ॐ जय जगदीश हरे
जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे, ॐ जय जगदीश हरे
ॐ जय जगदीश हरे, ॐ जय जगदीश हरे

Monday, January 13, 2020

महामृत्युंजय मंत्र mahamrityunjay Mantra























महामृत्युंजय मंत्र -

 
जैसा कि सबको पता है कि भगवान शिव विनाश के देव है इसीलिए इन्हें महाकाल भी कहा जाता है। मृत्यु पर विजय पाने के लिए इसी लिए भगवान शिव की उपासना की जाती हैं।

महामृत्युंजय मंत्र -

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌॥

महामृत्युंजय मंत्र  वीडियो।


गणेश जी को प्रसन्न करने का आसान उपाय, जानने के लिये इस लिंक पर click  करे। https://google-spritual.blogspot.com/2020/01/blog-post_23.html?m=1

Sunday, January 12, 2020

श्रीरुद्राष्टकं। इस मंत्र का उच्चारण भगवान राम ने शिव जी की स्थापना की थी रामेश्वरम में।

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥१॥


निराकारमोङ्करमूलं तुरीयं
गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकालकालं कृपालं
गुणागारसंसारपारं नतोऽहम् ॥२॥

तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभिरं
मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा
लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ॥३॥



चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं
प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि ॥४॥



प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं
अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं ।
त्र्यःशूलनिर्मूलनं शूलपाणिं
भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ॥५॥


कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।
चिदानन्दसंदोह मोहापहारी
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥६॥


 यावद् उमानाथपादारविन्दं
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
 तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं ॥७


 न जानामि योगं जपं नैव पूजां
नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम् ।
जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं
प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो ॥८


रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ॥९॥



इति श्रीगोस्वामीतुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ।।



Shiv tandav strotam... श्री शिव तांडव स्तोत्रम!!

  • शिव तांडव  स्तोत्रम। shiv tandav stotram  

उनके अन्य नाम रुद्र, शंकर भोलेनाथ, महाकाल आदि हैं।
त्रिदेव में से एक देवता जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु, महेश कहा जाता है।  एक बार जब रावण कैलाश पर्वत को उठाने के लिए तत्पर हुआ तो भोलेनाथ ने अपने अंगूठे से कैलाश को दबा दिया। रावण को पीड़ा सहन नह हो रही थी उस समय रावण ने कालो के काल महाकाल को प्रसन्न करने के लिए शिव तांडव स्त्रोतम की रचना की।भगवान शिव के इस परम् भक्त ने शिव भक्तों में अपना सर्वोच्च स्थान बनाया।
17 श्लोकों के इस शिव तांडव स्तोत्र से भगवान शिव बहुत खुश हुए और उन्हें वरदान दिया कि तुम्हारा यह भजन सदैव अमर रहेगा और जो कोई भी मेरी स्तुति में यह भजन सुनाएगा। वह मेरा आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। इस भजन की रचना के कारण, भगवान शिव ने रावण के नाम से लंका के राजा को संबोधित किया।
शिव जी 

आसान उच्चारण में शिव तांडव कर सकते है आप।

जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थलेगलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् ।डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥१॥

विलोलवी चिवल्लरी विराजमानमूर्धनि ।
धगद्धगद्ध गज्ज्वलल्ललाट पट्टपावके
किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममं ॥2॥

धराधरेंद्रनंदिनीविलास बंधुवंधुर-
स्फुरदृगंत संतति प्रमोद मानमानसे ।
कृपाकटा क्षधारणी निरुद्धदुर्धरापदि
कवचिद्विगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥3॥

जटा भुजं गपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा-
कदंबकुंकुम द्रवप्रलिप्त दिग्वधूमुखे ।
मदांध सिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदद्भुतं बिंभर्तु भूतभर्तरि ॥4॥

सहस्र लोचन प्रभृत्य शेषलेखशेखर-
प्रसून धूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः ।
भुजंगराज मालया निबद्धजाटजूटकः
श्रिये चिराय जायतां चकोर बंधुशेखरः ॥5॥

ललाट चत्वरज्वलद्धनंजयस्फुरिगभा-

निपीतपंचसायकं निमन्निलिंपनायम्‌ ।
सुधा मयुख लेखया विराजमानशेखरं
महा कपालि संपदे शिरोजयालमस्तू नः ॥6॥

कराल भाल पट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-
द्धनंजया धरीकृतप्रचंडपंचसायके ।
धराधरेंद्र नंदिनी कुचाग्रचित्रपत्रक-
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने मतिर्मम ॥7॥

नवीन मेघ मंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर-
त्कुहु निशीथिनीतमः प्रबंधबंधुकंधरः ।
निलिम्पनिर्झरि धरस्तनोतु कृत्ति सिंधुरः
कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥8॥ 

प्रफुल्ल नील पंकज प्रपंचकालिमच्छटा-
विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्‌
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥9॥

अगर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी-
रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌ ।
स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं
गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥10॥

जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुर-
द्धगद्धगद्वि निर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्-
धिमिद्धिमिद्धिमि नन्मृदंगतुंगमंगल-
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥11॥

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंग मौक्तिकमस्रजो-
र्गरिष्ठरत्नलोष्टयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥12॥

कदा निलिंपनिर्झरी निकुजकोटरे वसन्‌
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌कदा सुखी भवाम्यहम्‌॥13॥

निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥14॥

प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्‌ ॥15॥

इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं
पठन्स्मरन्‌ ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्‌।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नांयथा गतिं
विमोहनं हि देहना तु शंकरस्य चिंतनम ॥16॥

पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं
यः शम्भूपूजनमिदं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां
लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥17॥

॥ इति शिव तांडव स्तोत्रं संपूर्णम्‌॥ 

शिव तांडव उच्चारण का लाभ

शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने से मन की शान्ति, सुख और समृद्धि मिलती है। जिनकी कुण्डली में पितृ दोष और कालसर्प दोष होता हैं उन्हें मुक्ति मिलती है। यह कहा जाता है कि किसी ब्राह्मण की उपस्थिति में ही यह किया जाना चाहिए।