श्री महामृत्युञ्जय जाप!!
प्रतिदिन 5 बार महामृत्युंजय का जप करें।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
त्र्यंबकम् – तीन नेत्रों वाले
यजामहे – हम हृदय से जिनका सम्मान करते हैं और पूजते हैं।
सुगंधिम -जो एक मधुर सुगंध के समान हैं।
पुष्टिः – सम्पूर्णता के साथ या फलने फूलने वाली स्थिति
वर्धनम् – जो पोषण करते हैं, बढ़ने की शक्ति देते हैं।
उर्वारुकम् – ककड़ी
इव – जैसे, इस तरह
बंधनात् – बंधनों से मुक्त करनेवाले
मृत्योः = मृत्यु से
मुक्षीय = मुक्ति दें।
मा = न
अमृतात् = अमरता, मोक्ष
मार्कण्डेय जी ने इस मंत्र की रचना की है । कहा जाता है कि जब यमराज 12 वर्ष के बालक मार्कण्डेय जी को लेने आये तो उन्होंने डर से शिव लिंग का आलिंगन कर लिया था , शिव जी स्वयं प्रकट हो कर यमराज को वापस जाने के लिए कहा।
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सुगंधिम -जो एक मधुर सुगंध के समान हैं।
पुष्टिः – सम्पूर्णता के साथ या फलने फूलने वाली स्थिति
वर्धनम् – जो पोषण करते हैं, बढ़ने की शक्ति देते हैं।
उर्वारुकम् – ककड़ी
इव – जैसे, इस तरह
बंधनात् – बंधनों से मुक्त करनेवाले
मृत्योः = मृत्यु से
मुक्षीय = मुक्ति दें।
मा = न
अमृतात् = अमरता, मोक्ष
मार्कण्डेय जी ने इस मंत्र की रचना की है । कहा जाता है कि जब यमराज 12 वर्ष के बालक मार्कण्डेय जी को लेने आये तो उन्होंने डर से शिव लिंग का आलिंगन कर लिया था , शिव जी स्वयं प्रकट हो कर यमराज को वापस जाने के लिए कहा।