शिव गायत्री मंत्र (Shiv Gaytri Mantra)
कालसर्प और पितृदोष से मुक्त होने के लिए गायत्री शिव मन्त्र का जप प्रति सोमवार को करना चाहिए। यदि सोमवार को व्रत रखते हुए इसका पाठ करते है तो यह अधिक लाभप्रद होता है।
शिव गायत्री मन्त्र का लाभ
भगवान शिव का शनि और राहु केतु पर नियंत्रण है अतः कालसर्प दोष, पित्र दोष, राहू केतु की दृष्टि से बचने के लिए भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहिए।
कैसे करे शिव गायत्री मंत्र का जाप
भगवान शिव की पूजा की थाली में हल्दी, चंदन, कर्पूर, बेलपत्र, धतूरा व शिव जी को स्नान करने हेतु गाय का दूध प्रयोग करना चाहिए। गायत्री जी काली माता का रूप है शिव जी का इनके साथ प्रार्थना करने के लिए शिव गायत्री मन्त्र सबसे लाभकारी मन्त्र है।मन की शांति और एकाग्रता के लिए भी सही गायत्री मंत्र लाभदायक है।
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।
ॐ Om tatpuruShay vidmahe mahaadevaaya dhimahi tanno rudra prachodayaat।
इस मंत्र का उच्चारण प्रतिदिन प्रातः 5 बार ही करने से बड़े से बड़े सकंट का निवारण हो सकता है।
শিব গায়ত্রী মন্ত্র Shiv Gayatri Mantra in Bengali
ওম ততপুরুশয় বিদমেহে মহাদেবায় ধীমহি তন্নো রুদ্রঃ প্রচোদায়াত
Shiv gaytri mantra in gujrati
ઓમ તત્પુરુષાય વિદ્મહે મહાદેવાય ધીમહિ તન્નો રુદ્ર: પ્રચોદયાત્।
Meaning of shiv gaytri mantra in Tamil.
ஓம் தத்புருஷய் வித்மஹே மகாதேவய திமாஹி தன்னோ ருத்ரா: பிரச்சோதயத்।
Shiv gaytri mantra in telugu.
ఓం తత్పురుషయ్ విద్మహే మహాదేవయ ధీమహి తన్నో రుద్ర: ప్రచయోదయత్
Shiv Gayatri mantra in Kannada.
ಓಂ ತತ್ಪುರುಶಯ್ ವಿಡ್ಮಹೇ ಮಹದೇವಯ ಧೀಮಾಹಿ ತನ್ನೋ ರುದ್ರ: ಪ್ರಚೋದಯತ್
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