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Saturday, May 9, 2020

Shani dev ki aarti

Shani dev ki aarti 

शनि देव को खुश करने के लिए काला तिल, सरसों का तेल और उसमें सिक्का डाल कर चढाएं। प्रातः काल प्रत्येक  शनिवार को स्नान करने के बाद  शनिदेव प्रसन्न होते है और विपदा का निवारण होता है।
Shani dev best image

जय जय शनि देवा, जय शनि देवा!
जय जय जय शनि देवा ।।
अखिल सृष्टि में कोटि-कोटि जन,
करें तुम्हारी सेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ॥
जा पर कुपित होउ तुम स्वामी,
घोर कष्ट वह पावे।
धन वैभव और मान-कीर्ति,
सब पलभर में मिट जावे।।
राजा नल को लगी शनि दशा,
राजपाट हर लेवा।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा॥
जा पर प्रसन्न होउ तुम स्वामी,
सकल सिद्धि वह पावे।
तुम्हारी कृपा रहे तो,
उसको जग में कौन सतावे।।
ताँबा, तेल और तिल से जो,
करें भक्तजन सेवा।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा॥
हर शनिवार तुम्हारी,
जय-जय कार जगत में होवे।
कलियुग में शनिदेव महात्तम,
दु:ख दरिद्रता धोवे।।
करू आरती भक्ति भाव से,
भेंट चढ़ाऊं मेवा।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा॥

॥ श्री शनि देव आरती॥

चार भुजा तहि छाजै,
गदा हस्त प्यारी ।
जय शनिदेव जी ॥
रवि नन्दन गज वन्दन,
यम अग्रज देवा ।
कष्ट न सो नर पाते,
करते तब सेवा ॥
जय शनिदेव जी ॥
तेज अपार तुम्हारा,
स्वामी सहा नहीं जावे ।
तुम से विमुख जगत में,
सुख नहीं पावे ॥
जय शनिदेव जी ॥
नमो नमः रविनन्दन,
सब ग्रह सिरताजा ।
बन्शीधर यश गावे,
रखियो प्रभु लाजा ॥
जय शनिदेव जी ॥

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