मंत्र किसे कहते है। मंत्र का क्या अर्थ होता हैं? Mantra ka uchcharan kaise krte hai (Main menu of Mantra)
प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति में मंत्रों के जाप की परंपरा चली आ रही है। मंत्र जप आत्मा, शरीर और पूरे वातावरण को शुद्ध करता है। छोटा सा मंत्र ही अपार शक्ति का संचार करता है। केवल इन मंत्रों के माध्यम से ही व्यक्ति सभी परेशानियों और कठिनाइयों से छुटकारा पाने में सक्षम होता है। मंत्र शक्ति प्राण शक्ति को जगाने का प्रयास करती है। भिक्षु और योगी इन मंत्रों के माध्यम से भगवान को प्राप्त करने में सक्षम हैं। मंत्र का एक विशेष अर्थ है, मंत्र की शक्ति का अनुभव करते हुए संतों द्वारा बनाया गया।
मंत्र उच्चारण के समय सूक्ष्म बात को भी बहुत ध्यान पूर्वक पालन करना चाहिए। मंत्रों का जाप करते समय विशेष निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।
मंत्र का जाप करते समय पूजा में उपयोग की जाने वाली वस्तुओं, आसन, माला, वस्त्र, स्थान, समय और जप का समय आदि का ध्यान रखना चाहिए। यदि मंत्र ठीक उच्चारित किया जाए तो भगवान की कृपा अवश्य प्राप्त होती है। मंत्र का जाप करने से पहले साधक को अपने मन और शरीर की स्वच्छता का पूरा ध्यान रखना चाहिए। हमें मन को केन्द्रित करके भगवान को याद करना चाहिए। जाप करने वाले को अपने आसन पर बैठकर ध्यान का अभ्यास करना चाहिए। बैठने के लिए उपयुक्त आसन ऊन का, रेशम, रुई, कुश या मृग छाल आदि से बनी होनी चाहिए। मंत्र उच्चारण में पूर्ण विश्वास होना चाहिए। मंत्रों में शाबर मंत्र, वैदिक मंत्र और तांत्रिक मंत्र शामिल हैं। मंत्र सिद्धि के लिए मंत्रों को गुप्त रखना चाहिए।
मंत्र कितने प्रकार के होते हैं?
विशेषतः मंत्र जप तीन प्रकार से किया जाता है: - मन, भजन या उपांशु। मंत्र जप को संकीर्तन कहा जाता है, धीमे जप को उपांशु जप कहा जाता है और मानस जप जिसमें मंत्र जप का ध्यान आता है। मंत्रों का पाठ करते समय, मंत्रों का सही उच्चारण करना महत्वपूर्ण है, तभी आपको इन मंत्रों का पूरा लाभ मिलेगा। मन को शांत करने के लिए मंत्रों का जाप करने से मन में विश्वास की आवश्यकता होती है, तभी हम मंत्रों के प्रभाव से अवगत हो सकते हैं।
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