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Saturday, March 13, 2021

श्रीरामरक्षास्त्रोतम्।

 श्रीरामरक्षास्त्रोतम्।

Sriram rakshastotram

 

Sri Ram pic

अस्य श्रीरामरक्षास्त्रोतमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषि:

श्री सीतारामचंद्रो देवता। अनुष्टुप छंद:।

सीता शक्ति: श्रीमान हनुमान कीलकम!

श्रीसीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्त्रोतजपे विनियोग:!
 

तत्पश्चात जल छोड़ने के उपरांत भगवान राम का स्मरण करें और साथ ही इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए-
 

ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपदमासनस्थं पीतं वासो वसानं नवकमल दल स्पर्धिनेत्रम् प्रसन्नम्।

वामांकारूढ़ सीता मुखकमलमिलल्लोचनम् नीरदाभम् नानालंकारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डलम्। रामचंद्रम्।

इसके बाद राम रक्षा स्त्रोत का पाठ आरंभ करना चाहिए- 

चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम्। एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्।

ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्। जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितं।

सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरान्तकम्। स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम्।

रामरक्षां पठेत प्राज्ञ: पापघ्नीं सर्वकामदाम्। शिरो मे राघव: पातु भालं दशरथात्मज:।

कौसल्येयो दृशो पातु विश्वामित्रप्रिय: श्रुति। घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सल:।

जिह्वां विद्यानिधि: पातु कण्ठं भरतवन्दित:। स्कन्धौ दिव्यायुध: पातु भुजौ भग्नेशकार्मुक:।

 

करौ सीतापति: पातु हृदयं जामदग्न्यजित। मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रय:।

सुग्रीवेश: कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभु:। उरु रघूत्तम: पातु रक्ष:कुलविनाशकृता:।

 


जानुनी सेतुकृत पातु जंघे दशमुखांतक:। पादौ विभीषणश्रीद: पातु रामअखिलं वपु:।

एतां रामबलोपेतां रक्षां य: सुकृति पठेत। स चिरायु: सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत्।

 

पातालभूतल व्योम चारिणश्छद्मचारिण:। न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभि:।

रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन। नरौ न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति।

 

जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम्। य: कण्ठे धारयेत्तस्य करस्था: सर्वसिद्धय:।

वज्रपञ्जरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत। अव्याहताज्ञा: सर्वत्र लभते जयमंगलम्।

 

आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हर:। तथा लिखितवान् प्रात: प्रबुद्धो बुधकौशिक:।

आराम: कल्पवृक्षाणां विराम: सकलापदाम्। अभिरामस्त्रिलोकानां राम: श्रीमान स न: प्रभु:।


तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ। पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ।

फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ। पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ।

 

शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम्। रक्ष:कुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ।

आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशा वक्ष याशुगनिषङ्गसङ्गिनौ। रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रत: पथि सदैव गच्छताम्।

 

सन्नद्ध: कवची खड्गी चापबाणधरो युवा। गच्छन् मनोरथान नश्च राम: पातु सलक्ष्मण:।

रामो दाशरथी शूरो लक्ष्मणानुचरो बली। काकुत्स्थ: पुरुष: पूर्ण: कौसल्येयो रघूत्तम:।

 

वेदान्तवेद्यो यज्ञेश: पुराणपुरुषोत्तम:। जानकीवल्लभ: श्रीमानप्रमेयपराक्रम:।

इत्येतानि जपन नित्यं मद्भक्त: श्रद्धयान्वित:। अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशय:।

 

रामं दुर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम। स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नर:।

रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम्। 

राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शांतमूर्तिं वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम्।

रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे। रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम:।

श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम। श्रीराम राम रणकर्कश राम राम। श्रीराम राम शरणं भव राम राम।

श्रीराम चन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि श्रीराम चंद्रचरणौ वचसा गृणामि। श्रीराम चन्द्रचरणौ शिरसा नमामि श्रीराम चन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये। 

माता रामो मत्पिता रामचन्द्र: स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्र:। सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर्नान्यं जाने नैव जाने न जाने।

दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मज। पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम्।

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथं। कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये।

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम। वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीराम दूतं शरणं प्रपद्ये।

कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम। आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम।

आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्। लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्।

 भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम्। तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम्।

रामो राजमणि: सदा विजयते रामं रमेशं भजे रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नम:।

रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोस्म्यहं रामे चित्तलय: सदा भवतु मे भो राम मामुद्धरा:।

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। सहस्त्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने।

इति श्रीबुधकौशिकविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं संपूर्णम्

 

Tuesday, March 9, 2021

जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता , तुलसी माता आरती


तुलसी माता की आरती



जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता ।

सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।।

मैय्या जय तुलसी माता।

सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर

रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता।

 मैय्या जय तुलसी माता।

बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।

विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता। 

मैय्या जय तुलसी माता।

हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित।

पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता।

मैय्या जय तुलसी माता।।

लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में।

मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता। 

मैय्या जय तुलसी माता।।

हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी। 

प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता।

हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता।

मैय्या जय तुलसी माता।।

 जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।

सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता॥

मैय्या जय तुलसी माता।।

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केशव माधव गोविंद बोल, केशव माधव गोविंद बोल,
नाम प्रभु का है सूभकारी, पाप काटेंगे च्चन मेी भारी,
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नाम का पीले अमृत घोल, नाम का पीले अमृत घोल,
केशव माधव गोविंद बोल, केशव माधव गोविंद बोल,
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सोमा पढ़वत बने पटरी, बड़े बड़े नीसिचर संघारी,
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नाम की महिमा है अनमोल, नाम की महिमा है अनमोल,
केशव माधव गोविंद बोल, केशव माधव गोविंद बोल,
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केशव माधव गोविंद बोल, केशव माधव गोविंद बोल,




नर्सी भगत की हुंडई शिकारी, बन गयो पावन शाह बाँवरी,
नर्सी भगत की हुंडई शिकारी, बन गयो पावन शाह बाँवरी,
द्वार तू अपने मॅन के खोल, द्वार तू अपने मॅन के खोल,
केशव माधव गोविंद बोल, केशव माधव गोविंद बोल,
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